Wednesday 15 December 2010

बड़कोट गांव में पांडव नृत्य में दिखी उत्तरखंड की संस्कृति की झलक

बड़कोट(उत्तरकाशी)। बड़कोट गांव में नौ दिनों तक चले धार्मिक आयोजन में पांडव नृत्य के दौरान क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति की झलक देखने को मिली। देर रात तक ग्रामीण पांडव नृत्य पर झूमते रहे।

हर तीसरे साल स्थानीय बग्वाल के अगले दिन शुरू होकर नौ दिनों तक बड़कोट गांव में चलने वाले धार्मिक आयोजन में ग्रामीणों की भारी भीड़ उमड़ी। इस दौरान पांडवों में अर्जुन(खाती) व नागराजा के पश्वा ने ग्रामीणों द्वारा तैयार हाथी की सवारी कर प्राचीन परंपरा को जीवंत किया।

इस मौके पर स्थानीय भगवती मां अष्टासैण की डोली और बाबा बौखनाग के ढोल भी मौजूद थे। पांडव नृत्य सहित अन्य कार्यक्रमों पर ग्रामीण देर रात तक झूमते रहे। मेले में शामिल हुए बुजुर्गाें ने बताया कि लाक्षागृह में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना जताते हुए

पांडवों ने इस देवभूमि में लोगाें पर अवतरित होकर उनके कष्टों को हरने का आश्वासन दिया था तभी से इस धार्मिक आयोजन के दौरान पांडव ग्रामीणों पर अवतरित होकर उनके अनिष्ट हरते हैं। इस धार्मिक आयोजन में क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति देखने के लिए आसपास के गांवों से भी बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंचे।